LOK Devta : Saint Shri MalDev Ji, Magatji, Malkanwarji Maharaj : Cheptar - 5

लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!

 

एक ऐसी दुनिया में कदम रखें जहां शब्द जीवंत होंविचार फले-फूले और कहानियां सामने आएं। यह एक ऐसी जगह है जहां जुनून साझा किया जाता हैज्ञान का आदान-प्रदान किया जाता है और कनेक्शन बनाए जाते हैं। चाहे आप एक अनुभवी पाठक हों या जिज्ञासु घुमक्कड़यह ब्लॉग आपकी कल्पना को प्रेरित करनेसूचित करने और प्रज्वलित करने के लिए है। 

विचार के क्षेत्र के माध्यम से एक यात्रा पर मेरे साथ जुड़ेंक्योंकि हम यात्रा और रोमांच से लेकर प्रौद्योगिकी और नवाचार तकसाहित्य और कला से लेकर कल्याण और आत्म-खोज तक विविध विषयों की खोज करते हैं। यहांआपको देखभाल के साथ बुने गए शब्दों का एक टेपेस्ट्री मिलेगाजो अंतर्दृष्टिदृष्टिकोण और नए विचारों की पेशकश करेगा जो आपके जीवन को समृद्ध करेगा। 

एक भावुक ब्लॉगर के रूप मेंमैं कहानी कहने की शक्ति में विश्वास करता हूँ। प्रत्येक पोस्ट आपको नई दुनिया में ले जाने के लिएचिंतन को उत्तेजित करने के लिएऔर सार्थक बातचीत को चिंगारी देने के लिए सावधानी से तैयार की गई है। साथ मिलकरहम एक गहरे अनुभव की शुरुआत करेंगेजहां आपके विचार और मत मायने रखते हैं। यह ब्लॉग आकर्षक चर्चाओं और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के एक जीवंत समुदाय के निर्माण के लिए एक मंच है जो ज्ञान की प्यास और लिखित शब्द के लिए प्यार साझा करते हैं। 

अपने शब्दों के माध्यम सेमेरा उद्देश्य आपको प्रेरित करना और सशक्त बनानाआपकी धारणाओं को चुनौती देना और आपको जीवन की संभावनाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। चाहे आप व्यावहारिक सलाहएक क्षणिक पलायनया बस प्रेरणा की खुराक की तलाश कर रहे होंयह ब्लॉग आपका अभयारण्य हैआपके ज्ञान और रचनात्मकता का नखलिस्तान है। 

तोअपने पसंदीदा पेय का एक कप लेंएक आरामदायक नुक्कड़ पर बैठेंऔर उन अजूबों में गोता लगाएँ जो हमारा इंतजार कर रहे हैं। साथ मेंहम अन्वेषणविकास और अंतहीन जिज्ञासा की अविस्मरणीय यात्रा शुरू करेंगे। एक ऐसी दुनिया में आपका स्वागत है जहां विचार खिलते हैं और सपने उड़ान भरते हैं। लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!

अंक 845

भाग-5  में आप सभी महानुभावों का हार्दिक अभिनन्दन है : -

मालाजी महाराज, मांगटजी व मोठिस के रूप में जीवन परिचय

देवनारायणजी के साथ छोछू भाट गोंडा आसिंद भीलवाड़ा से देवनारायण के मित्र थे उनके साथ ही सातूजी के घर आए थे‌ अब तीनों मित्र अपनी मंजिल की ओर कुंडा के रास्ते से भालिया जा रहे थे तो रास्ते में उनको बूढ़ा भाट का भी साथ हो गया।  भालिया रोही मगरा में जोधपुर महाराजा ने मारवाड़ की 9वीं कोठी नाम से एक महल बना रखा था। वहां पर चारों विश्राम करते हैं तथा उसी जगह एक धौकड़ा का वृक्ष था जिसकी छाया उनको अति प्रिय लगी जहां उन्होंने विश्राम किया। देवनारायण जी मांगटजी से बड़े थे उन्होंने कहा कि हे माला जी आप एक युगपुरुष के साथ -साथ योद्धा भी है।  इस वजह से मैं आपको इस क्षेत्र का राजा घोषित करता हूं। यहां 9वीं कोठी पर आपका ही शासन रहेगा। यहां के राजा होने के कारण मैं आपको मुकुट पहनाता हूं और इस मुकुट से आप मुकुट धारी मुकटेश्वर बन गए हैं। यह आपका गणराज्य रहेगा तथा इसके आसपास जितनी भूमि है वह सब आपके लिए है। मुकुटधारी ईश अर्थात मुकुटिश बन गए।इस प्रकार मोटिस का अर्थ मुकुट+ईश अर्थात मुकुटधारी ईश्वर नाम रखा। इस प्रकार आपके द्वारा मुकुट धारण करने से आपके वंशज मोटिस नाम से जाने गए तथा जोधपुर के महाराजा ने भी आपको राजा के नाम से महाराजा शब्द जोड़ा है।  इस प्रकार मांगटजी महाराजा,मांगटजी महाराजा से मांगटजी महाराज नाम से जाने गए मांगटजी वीर पुरुष के रूप में:-देवनारायण अपने सभी मित्रों के साथ उक्त स्थान से चलकर भालियां क्षेत्र में चले गए।यहां इस क्षेत्र को मांगटजी के नाम किया देवनारायण जी के पास एक घोड़ी थी जिसको सोजत के राजा राण ने पकड़ रखी थी। यह घोड़ी राजा भोज बगड़ावत से राण का राजा लेकर आया था।जिसको देवनारायण जी छुड़ाना चाहते थे और इसमें वीर पुरुष मांगटजी का साथ उनको जरूरी था।मांगटजी का साथ देने से देवनारायण जी बोंली घोड़ी को भी छुड़ाए तथा उसके साथ में उसके सात बच्छेरे थे उनको भी लेकर आ गए तथा एक स्थान पर उनको लाकर आपस में तीन- तीन को बांट लिया जिसमें आधे देवनारायण जी ने लिए तथा सातवें घोड़े को अपनी शक्ति से मांगटजी ने दो बना दिए जिससे एक घोड़ा देवनारायण जी को तथा दूसरा स्वयं ने रखा जो अबलक के नाम से जाना गया यह अबलक घोड़ा पवन के समान दौड़ता था।  जिस पर मांगटजी महाराज सवारी करते थे।  दोनों महापुरुष रोही मगरा, मारवाड़ ,मेवाड़ की धरती पर अपनी वीरता के साथ लोगों की आस्था के केंद्र बन गए। मांगटजी रोहितसा पवार के वंशज होने के कारण भालिया की धरती पर पूजे जाने लगे तथा वीरता के कारण प्रसिद्ध रहे।

अंक जारी रहेगा.........

निवेदक

लेखक एवं इतिहासकार तारा चंद मीणा ( चीता) कंचनपुर सीकर

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