LOK Devta : Saint Shri MalDev Ji, Magatji, Malkanwarji Maharaj : Cheptar - 7

लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!

 

एक ऐसी दुनिया में कदम रखें जहां शब्द जीवंत होंविचार फले-फूले और कहानियां सामने आएं। यह एक ऐसी जगह है जहां जुनून साझा किया जाता हैज्ञान का आदान-प्रदान किया जाता है और कनेक्शन बनाए जाते हैं। चाहे आप एक अनुभवी पाठक हों या जिज्ञासु घुमक्कड़यह ब्लॉग आपकी कल्पना को प्रेरित करनेसूचित करने और प्रज्वलित करने के लिए है। 

विचार के क्षेत्र के माध्यम से एक यात्रा पर मेरे साथ जुड़ेंक्योंकि हम यात्रा और रोमांच से लेकर प्रौद्योगिकी और नवाचार तकसाहित्य और कला से लेकर कल्याण और आत्म-खोज तक विविध विषयों की खोज करते हैं। यहांआपको देखभाल के साथ बुने गए शब्दों का एक टेपेस्ट्री मिलेगाजो अंतर्दृष्टिदृष्टिकोण और नए विचारों की पेशकश करेगा जो आपके जीवन को समृद्ध करेगा। 

एक भावुक ब्लॉगर के रूप मेंमैं कहानी कहने की शक्ति में विश्वास करता हूँ। प्रत्येक पोस्ट आपको नई दुनिया में ले जाने के लिएचिंतन को उत्तेजित करने के लिएऔर सार्थक बातचीत को चिंगारी देने के लिए सावधानी से तैयार की गई है। साथ मिलकरहम एक गहरे अनुभव की शुरुआत करेंगेजहां आपके विचार और मत मायने रखते हैं। यह ब्लॉग आकर्षक चर्चाओं और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के एक जीवंत समुदाय के निर्माण के लिए एक मंच है जो ज्ञान की प्यास और लिखित शब्द के लिए प्यार साझा करते हैं। 

अपने शब्दों के माध्यम सेमेरा उद्देश्य आपको प्रेरित करना और सशक्त बनानाआपकी धारणाओं को चुनौती देना और आपको जीवन की संभावनाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। चाहे आप व्यावहारिक सलाहएक क्षणिक पलायनया बस प्रेरणा की खुराक की तलाश कर रहे होंयह ब्लॉग आपका अभयारण्य हैआपके ज्ञान और रचनात्मकता का नखलिस्तान है। 

तोअपने पसंदीदा पेय का एक कप लेंएक आरामदायक नुक्कड़ पर बैठेंऔर उन अजूबों में गोता लगाएँ जो हमारा इंतजार कर रहे हैं। साथ मेंहम अन्वेषणविकास और अंतहीन जिज्ञासा की अविस्मरणीय यात्रा शुरू करेंगे। एक ऐसी दुनिया में आपका स्वागत है जहां विचार खिलते हैं और सपने उड़ान भरते हैं। लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!

अंक 848

वीर मांगटजी महाराज के वंश वृद्धि


मांगटजी और उनकी पत्नी सिंगदे भटियाणी के देवलोक गमन करने के उपरांत उनके वंश में बढ़ोतरी उनके बड़े भाई अरनला से संतान रूप में वंश चला।


25.अरनला(अणक्षराय) तीन पुत्र हुए

  1. कोदली 
  2. लखम देव(राणाता, भगवानपुरा) 
  3. सारणराय(मेवाल)

26कोदली (तीन संतान हुई

  1. सांगा (बाघमाल) 
  2. बाला (देवल, फतेहपुर,काकरोद,रानेला,तीकली)
  3. अमरा( बड़ाखेड़ा, बामन खेड़ा, मेवासा,नम्बरदार)

27.बाला

28.देवल(चार संतान हुई

  1. ऊदा 
  2. जोधा 
  3. देपसा 
  4. ढाढा

29.ऊदा (दो संतान हुई

  1. शठाता (सगता) 
  2. शैला ( बिशल ) (जहाजपुर)

30 बिशल

31..ठोई

32.मोल

33.मोही

34.टीडी

35. मथरी

36..सहाराज

37.तोला

38. भारी और देवा

39.कांधल

(हरराज के वंश में :-

  1. माधू, 
  2. मोका,
  3. नाबा,
  4. फीता
  5. जगमाल,
  6. ठूवा,
  7. बीरम, 
  8. जोगा
  9. पोमा 

नोट:-

आयु के अनुसार इनका क्रम परिवर्तन हो सकता है।

श्री हरराज वंश की वंशावली

(केवल मोका बाबा के

 पांचा का बाड़ा के किशन लाल मीणा के परिवार जनों तक ही शामिल किया गया है।)

40. मोका 

( मोका/हरराज कुटुंब प्रमुख)

41. बेणा

42.डुंगा

43.पांचा 

(पांचा का बाड़ा- संस्थापक)

44. रूपा

45. बगता

46.हीरा

47. भुवाना

(मोहल्ला/गुवाड़ी प्रमुख)

48. फत्ता

49.गंगा राम

(कुनबा /कुटुंब प्रमुख) परिवार की वंश वृद्धि बढ़ते -बढ़ते मोटिस वंश पांचा का बाड़ा गंगाराम के पुत्र 50 वीं पीढ़ी में भोमा राम हुए जिनके इनकी धर्मपत्नी श्रीमती लाली देवी की कोख से संतान रूप में 51 वीं पीढी में किशन लाल का जन्म 17दिसम्बर सन् 1954 में हुआ। जो बाल्यकाल से ही मोटिस पंवार वंश को एक नई सौगात देते नजर आए इन्होंने उचित समय पर पिता के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की तथा 27 सितंबर सन् 1975 को शिक्षक के पद पर राजस्थान सरकार में पदस्थापित हुए व अपनी कर्मठ जिम्मेदारी निभाते हुए दिन प्रतिदिन योग्यता को हासिल करते हुए शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद तक पहुंचे ।शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही। इसमें कर्मचारी संगठन में प्रदेश कार्यकारिणी तक आपने पद संभाला तथा सामाजिक संगठनों में मीणा समाज के सामाजिक सम्मेलन ,सामूहिक विवाह सम्मेलन तथा जहाजपुर क्षेत्र में सर्व समाज के साथ मिलकर विकास के कार्य किए आप सेवानिवृत्त होने के उपरांत भी अपनी कर्मठ कार्यशैली के तहत समाज में अग्रणी भूमिका में कार्य करते रहे हैं तथा आज दिनांक तक आप समाज के प्रति समर्पित हैं ।आप मांगटजी महाराज के आशीर्वाद से सूर्य उदय के साथ ही आपका प्रतिदिन का कार्यक्रम निश्चित हो जाता है कि आज समाज के कार्य हेतु किस- किस जगह कहां- कहां जाना है तथा हर क्षेत्र में आपने एक अच्छी उपलब्धि हासिल की है तथा आपकी मिलनसारीता हर व्यक्ति की पहचान है ।आप एक मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी हैं जो हर व्यक्ति को अपनी ओर अपने आप खींच लेते हैं क्योंकि आप में समाज सेवा करने का जज्बा है। आपके परिवार में आपके ही पद चिन्हों पर चलने वाली संतान रूप में मोटिस वंश की वृद्धि इस तरह है आपकी धर्मपत्नी श्रीमती शांति देवी से दो पुत्र और दो पुत्रियां हुई 

  1. दीपेंद्र 
  2. गजेंद्र 
  3. विमला 
  4. ललिता  हैं।

इस तरह मांगटजी महाराज का आशिर्वाद मीणा समाज पर बराबर बना हुआ।

नोट -साथियो इस अधिक जानकारी आपके पास हो तो हमारे तक पहुंचाने का कष्ट करें।

प्रस्तुतकर्ता

लेखक एवं इतिहासकार तारा चंद मीणा (चीता)

कंचनपुर सीकर

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