Freedom Fighter Birda Singh Lala's Bara Jahajpur Chapter - 2
अंक 850
भाग-2 स्वतंत्रता सेनानी बिरदा सिंह सूबेदार लाला का बाड़ा जहाजपुर भीलवाड़ा
प्रथम विश्व युद्ध में महत्ती भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध यूरोप में होने वाला यह एक वैश्विक युद्ध था जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था।इस युद्ध में 30 अधिक देश शामिल हुए थे, जिसमें सर्बिया, ब्रिटेन, जापान, रूस, फ्रांस, इटली और अमेरिका समेत करीब 17 मित्र देश थे तथा दूसरी ओर जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन जैसे राज्य थे यह युद्ध यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में लड़ा गया।इस पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की तरफ से लाखों भारतीय सैनिकों ने जंग में हिस्सा लिया था. कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन के मुताबिक अविभाजित भारत से 11 लाख सैनिक प्रथम विश्व युद्ध में शरीक हुए थे. इस अविभाजित भारत में आज का भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा शामिल थे
इस युद्ध में ब्रिटिश सरकार की सेना में बिरदा सिंह जो सन् 1899 में ब्रिटिश सरकार की सेना के अधिकृत देवली रेजिमेंट के सैनिक थे तथा रियासत कालीन जागीरदारों द्वारा ब्रिटिश सेना का सहयोग करने के लिए बिरदासिंह अपने नजदीकी रिश्तेदार लाडूराम निवासी गाडोली के साथ इस मीणा रेजिमेंट देवली की ओर से युद्ध में शामिल हुए थे। बिरदा सिंह ने लगभग इस युद्ध में संपूर्ण समय अपनी बहादुरी का परचम दिखाया था । काफी सैनिक इस युद्ध में हताहत हुए थे लेकिन युद्ध समाप्ति के 7 वर्ष के उपरांत बिरदा सिंह अपने घर सन् 1921 को सेना से सेवानिवृत्त होकर अपने गांव लौटे
तथा 25 अगस्त सन् 1940 को 57 वर्ष की उम्र में आपने अपनी देह छोड़ी।
द्वितीय विश्व युद्ध
दूसरा विश्व युद्ध यूरोप में 1939 से सितंबर 1945 तक चला था।
लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं इस युद्ध में शामिल थी। इस युद्ध में विश्व दो भागों में बंटा हुआ था।यह युद्ध भी पहले विश्वयुद्ध की तरह दो गुटों के बीच लड़ा गया था। एक ओर थे धुरी राष्ट्र-जिसमें जर्मनी, इटली, जापान, ऑस्ट्रिया शामिल थे। तो वहीं दूसरी ओर थे मित्र राष्ट्र जिनमें ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ, अमेरिका शामिल रहा।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के विरुद्ध 1939 में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज ने 20 लाख से अधिक सैनिक युद्ध के लिए भेजे जिन्होने ब्रिटिश कमाण्ड के अधीन धुरी शक्तियों के विरुद्ध युद्ध लड़ा।
इसी युद्ध में बिरदा सिंह के दोनों पुत्र श्री गंगा सिंह और श्रवण कुमार भी मीणा रेजिमेंट देवली की ओर से युद्ध में शामिल हुए थे इन्होंने भी अपनी पिता की भांति मीणा रेजिमेंट में एक योद्धा की भूमिका निभाई तथा दोनों भाइयों की संतान भी सेना में ही जाने की इच्छा जाहिर की जिसमें श्री गंगा सिंह के दो पुत्र श्री फूमसिंह और हीरालाल थे ।श्रवण कुमार के भी एक पुत्र छगनलाल ने भी सेना में अपने पिता की भांति मुस्तैदी से ड्यूटी निभाई।
लगातार............
निवेदक।
लेखक एवं इतिहासकार
तारा चंद मीणा (चीता)
कंचनपुर सीकर राजस्थान
Comments
Post a Comment
Thanks for contacting