Freedom Fighter Harshayji Jeff Nayabas Neemkathana
लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!
एक ऐसी दुनिया में कदम रखें जहां शब्द जीवंत हों, विचार फले-फूले और कहानियां सामने आएं। यह एक ऐसी जगह है जहां जुनून साझा किया जाता है, ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाता है और कनेक्शन बनाए जाते हैं। चाहे आप एक अनुभवी पाठक हों या जिज्ञासु घुमक्कड़, यह ब्लॉग आपकी कल्पना को प्रेरित करने, सूचित करने और प्रज्वलित करने के लिए है।विचार के क्षेत्र के माध्यम से एक यात्रा पर मेरे साथ जुड़ें, क्योंकि हम यात्रा और रोमांच से लेकर प्रौद्योगिकी और नवाचार तक, साहित्य और कला से लेकर कल्याण और आत्म-खोज तक विविध विषयों की खोज करते हैं। यहां, आपको देखभाल के साथ बुने गए शब्दों का एक टेपेस्ट्री मिलेगा, जो अंतर्दृष्टि, दृष्टिकोण और नए विचारों की पेशकश करेगा जो आपके जीवन को समृद्ध करेगा।एक भावुक ब्लॉगर के रूप में, मैं कहानी कहने की शक्ति में विश्वास करता हूँ। प्रत्येक पोस्ट आपको नई दुनिया में ले जाने के लिए, चिंतन को उत्तेजित करने के लिए, और सार्थक बातचीत को चिंगारी देने के लिए सावधानी से तैयार की गई है। साथ मिलकर, हम एक गहरे अनुभव की शुरुआत करेंगे, जहां आपके विचार और मत मायने रखते हैं। यह ब्लॉग आकर्षक चर्चाओं और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के एक जीवंत समुदाय के निर्माण के लिए एक मंच है जो ज्ञान की प्यास और लिखित शब्द के लिए प्यार साझा करते हैं।अपने शब्दों के माध्यम से, मेरा उद्देश्य आपको प्रेरित करना और सशक्त बनाना, आपकी धारणाओं को चुनौती देना और आपको जीवन की संभावनाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। चाहे आप व्यावहारिक सलाह, एक क्षणिक पलायन, या बस प्रेरणा की खुराक की तलाश कर रहे हों, यह ब्लॉग आपका अभयारण्य है, आपके ज्ञान और रचनात्मकता का नखलिस्तान है। तो, अपने पसंदीदा पेय का एक कप लें, एक आरामदायक नुक्कड़ पर बैठें, और उन अजूबों में गोता लगाएँ जो हमारा इंतजार कर रहे हैं। साथ में, हम अन्वेषण, विकास और अंतहीन जिज्ञासा की अविस्मरणीय यात्रा शुरू करेंगे। एक ऐसी दुनिया में आपका स्वागत है जहां विचार खिलते हैं और सपने उड़ान भरते हैं। लेखक ताराचन्द चीता के ब्लोग में आपका स्वागत है!
स्वतंत्रता सेनानी हरसहाय जी मीणा ( जेफ) नयाबास नीमकाथाना
जीवन परिचय :
मत्स्य प्रदेश के ढूंढाड़ क्षेत्र में तहसील नीमकाथाना जिला सीकर राजस्थान का एक विशेष गांव नयाबास जो किसी समय मीणा सरदारों की राजधानी के नाम से जाना जाता था।
मत्स्य प्रदेश
मत्स्य प्रदेश के अलवर, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, अजमेर, सिरोही, उदयपुर, टोंक और कोटा आदि स्टेट राज्यों में जहां मीणा समाज के लोगों पर ब्रिटिश सरकार व यहां के क्षेत्रीय ठिकानेदारों, जागीरदारों,राजा महाराजाओं के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना से लेकर सन् उन्नीस 1947 तक जुलम ढहाए जाते थे।
उससे तंग आकर अपनी आजादी
के लिए यहां बुद्धिजीवियों द्वारा चर्चा की जाती थी तथा अपनी आने वाली पीढ़ियों के
लिए सपने संजोए जाते थे। उस पवित्र भूमि का वर्णन लेखक अपनी कलम से करना चाहेगा
जहां की माताएं अपने बच्चों को आजादी का पाठ तथा अपने समाज पर ब्रिटिश सरकार व
यहां के जागीरदारों द्वारा क्रिमिनल का धब्बा लगा हुआ था उसको मिटाने के लिए अपना
स्तनपान करा रही थी। यह नयाबास गांव जिसका नाम राजस्थान के कोने- कोने तक फैला हुआ
है। आज जो भी हम हैं उसमें कहीं न कहीं इस
गांव का प्रयास रहा है।
संपूर्ण मत्स्य प्रदेश
में आजादी के दीवाने मीणा सरदारों ने यहां आकर अपनी रणनीति बनाई थी जिनमें कोटा
संभाग से भैरव लाल काला बादल, जयपुर से
लक्ष्मीनारायण झरवाल, भीम सिंह एडवोकेट,सीकर से भगवता राम जी मीणा, झुंझुनू से गणपत राम जी बगरानियां, श्री राम सिंह रावत , छाजू सिंह जी कांवत शाहजहांपुर, जमुना राम जी, अर्जुन देव जी चंद्रा, श्री राम जी मीणा
बागावास, श्री गणेश राम मीणा मेड़,
श्री कल्याण मल जी बुज, श्री सुरजा राम जी पोखरिया, नारायण मल जी छोलक राजपुरा, श्री झूंथाराम जी नाडला, सुरजा राम जी पबड़ी लामिया अनेकों नाम शामिल थे उन्हीं में
से एक हरसाय जी मीना भी थे। इनके पूर्वज
ग्राम मावंडा में निराण बाबा के वंश से चले, जिसमें
- श्री निराणसिंह(निराण बाबा) के सन्तान रूप में श्री गंगा राम हुए
- श्री गंगा राम के श्री अनोख सिंह (अनोखा) हुए
- श्री अनोख सिंह के चार संतान हुई :-
- श्री श्योदान सिंह
- श्री शिम्भू सिंह
- श्री लाल सिंह
- श्री चतरू सिंह
4. श्री शिम्भू सिंह
के संतान सुख में पुत्र हुए :-
- श्री उमदा सिंह
- श्री फत्ते सिंह (फत्ता राम)
- श्री रणजीत सिंह
श्री फत्ते सिंह की दो
शादियां हुई जिनमें प्रथम पत्नी श्रीमती लाडा देवी गोत्र पबड़ी गांव चौकड़ी के
संतान सुख में :-
- श्री बिड़दा राम जी
- श्री श्योला राम जी हुए
तथा द्वितीय पत्नी
श्रीमती तुलसी देवी गोत्र बुनस गांव ठिकरिया से संतान रूप में :-
- श्री चूनाराम जी
- श्री सुरजन रामजी
- श्री हरदानराम जी
- श्री हरसहाय का जन्म माता श्री तुलसी देवी की कोख से 17 फरवरी सन् 1901 में को हुआ ।
साथियों इससे अधिक जानकारी आपके पास हो तो हमारी टीम तक पहुंचाने की मदद
करना जिससे हम स्वतंत्रता सेनानियों का गौरवमय इतिहास निकाल कर आने वाली पीढ़ियों
के लिए एक अनुपम सौगात इतिहास तैयार कर सकें।
प्रस्तुतकर्ता:-
लेखक एवं इतिहासकार
तारा चंद मीणा (चीता)
कंचनपुर सीकर
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